Wednesday, 24 August 2011

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मीना कुमारी उर्दू कविता


टुकडे-टुकडे दिन बीता, धज्जी-ध्ज्जी रात मिली
जितना-जितना आंचल था, उतनी ही सौगात मिली

रिमझिम-रिमझिम बुंद में, जहर भी है और अमृत भी
आंखे हंस दी दिल रोया, यह अच्ही बरसात मिली

जब चहा दिल को समझे, हसणे की आवाज सुनी
जैसे कोई कहता हो, ले फिर तुझको मात मिली

मातें कैसी घातें क्या, चलते राहणा आठ पहर
दिल-सा साथी जब पाया, बेचैनी भी साथ मिली

होठो तक आते-आते, जाणे कितने रूप भरे
जलती-बुझती आंखो में, सादा-सी जो बात मिली


-----मीना कुमारी


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